शुक्रवार, 1 मई 2020

About जय आर्यावर्त 🚩

                                                                      मेरा उद्देश्य
नमस्ते  जय आर्यवर्त  मैं रुपेश आचार्य आपका स्वागत करता हूँ मेरे प्रथम blog page पर जहा मैं आपको
भारत देश के प्राचीन गौरव इतिहास और हिन्दू धर्मं के विषय मैं महत्वपूर्ण जानकारी दूंगा | आज ऐसे कई ताक़त है देश मैं जो साम,दाम,दंड,भेद का प्रयोग करके हमारे प्राचीन पुस्तक में मिलावट और गलत जानकारी देकर भारत के अंदर फुट डालने का कोशिश कर रहे है और आम लोग उन्ही चीजों को जाने अनजाने लोगों को परोस रहे है, जैसे कोई हमारे इतिहासिक महापुरुष को गाली दे रहे है तो कोई हमारे इतिहासिक पात्र को ही काल्पनिक बनाने में लगे हुए है तो कहीं ऐसे भी महाशय है जो इस देश के बहुसंख्यक को ही विदेशी आक्रमण बनाने पर टिके हुए है |  इन्ही चीजों पर मेरा लेख होगा जो मैंने सिखा और जो पुस्तक में है उन विषयों पर सही जानकारी दूंगा |
                                       
                                 
                                                                 धन्यआपका वाद 

नास्तिकतावाद से देश को खतरा!

                                नास्तिकतावाद से देश को खतरा
आप सभी को नमस्ते जय आर्यावर्त🚩। आज बहुत से बुद्धिजीवी लोग स्कूल ,कॉलेज में पढ़ने वाले प्रगतिशील जन नास्तिकतावाद का प्रचार कर रहे है।लोग आजकल नास्तिकतावाद को वैज्ञानिक और मॉडर्न लाइफस्टाइल समझ बैठे है पर ये और कुछ नहीं उनकी ही मूर्खता और आधा ज्ञान है। इसी नास्तिकतावाद के अधिक प्रचार के कारण आज लोग गलत मार्ग पकड़ लेते है जिससे जुर्म बढ़ता जाता है । कुछ ने इसी नास्तिकतावाद के वजह से अपनी गृहस्ती जीवन में आग लगाए बैठे है । ईश्वर को काल्पनिक मानना कर्म - फल सिद्धांत पर ना मानना और जन्म पुनर्जन्म को न मानना है नास्तिक सोच, खैर हमे कोई आपत्ती नहीं यदि कोई इश्वर को नहीं समझ सकता तो वहा प्रमाण सहित उससे जानेका कोशिश करे नास्तिक होना कोई अपराध नहीं इन्सान सबकुछ सीखकर तो नहीं आत ना! उससे सिखने का जानने का कोशिश करते रहना चाहिए अगर उससे ना समझ आये तो उसका नास्तिक रहना कोई बुरी बात नहीं है क्युकी हम जो देखते है जितना ज्ञान है उतना ही मानते है और वैदिक समय के लोग भी सत्य को ही जाननेका प्रयत्न करते थे और उनमे सत्य जनने  के लिए  शाश्त्रार्थ  
होते  किंतु  जो ब्रेकिंग इंडिया पॉवर सबकुछ जानकर भी नास्तिकतावाद का गलत प्रचार करते है सिर्फ  देश को  खोकला करनेकेलिये और देश के संस्कृति पर देशवाशियों को ही भ्रमित करवाते है, घृणा करवाते है देश को उन्ही से समस्या है |
                                 


क्युकी नास्तिकतावाद के अनुसार ईश्वर काल्पनिक है,कर्मफल कुछ नहीं होता वे फित्तेस्ट सर्वाइवल सिद्धांत पर चलता जाता है| नास्तिक सोच जिसके अनुसार मनुष्य ही सब कुछ है और हम कुछ भी कर सकते हे, होता यह है कि उनको किसी चीज का भय नहीं रह जाता ना ही कोई गलत काम करते समय उनको  शंका रह जाती है जिससे बहुत सारे जुर्म  बढ़ते जाते है । क्युकी में इंसान हूं और सब कुछ हूं तो वह अपने से कमजोर पर नियंत्रण करता है वह जानवर,पर्यावरण,बुजुर्ग को  नहीं सोचता और अपने लाभ के लिए उनको क्या दुख पहुंचरहे है वह नहीं देखता। इसी नास्तिकतावाद के कारण ही विज्ञान में एक लाभ मनुष्य के लिए होते है तो बहुत से नुकसान जीव और प्रकृति पर हो जाती है।क्या जब नास्तिकतावाद नहीं थी तब विज्ञान नहीं था क्या? अरे विश्व को आज १,९६,८,५३,१२१ वर्ष चल रहा है और इतने वर्ष में मनुष्य ने सिर्फ ये २०० साल मेही इतनी प्रगति करली? गलत! ऐसे विज्ञान बहुत बार आए और गए ऐसे ही बहुत से विज्ञान फिर आएंगे और बर्बाद होंगे । युद्ध,प्रलय के कारण विज्ञान नस्ट होते रहते है। यह विज्ञान जो देख रहे हो यह भी पहले थी इसीलिए वैज्ञानिक easter islands और बहुत से उत्खनन पर अभी भी shocked है  किन्तु पहले के विज्ञान में नास्तिकतावाद नहीं थी इस कारण उनके विज्ञान से बने विमान,शस्त्र,अस्त्र,नौका और वाहन सिर्फ अच्छे कार्य के लिए  प्रयोग होते था और तभी के लोग पर्यवन को शुद्ध करने के लिए भी टेक्नोलॉजी का प्रयोग करते थे|आस्तिकवाद के अस्त्र भी इस प्रकार के थे जो पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाए और सिर्फ अधर्मी को मारे और हथियार सिर्फ मारने के लिए ही नहीं अपितु बचाने के लिए भी होते थे 
  


जैसे बंजर जगह को उपजाऊ करने की भी विज्ञान थी और यह सब होता था आस्तिकवाद से क्युकी ईश्वर को मानने वाले लोग अपने साधन और ज्ञान को ईश्वर का दिया हुआ मानते थे और उनसे बने  इस पर्यावरण को उतना ही प्रेम करते थे इसीलिए जुर्म कम थे। 
इसीलिए यह सोच की नास्तिकतावाद से दुनिया पर विज्ञानं फ़ैल सकता है यह कच्चा झूठ है!
 नास्तिकतावाद न होने से विज्ञान को कुछ फर्क नहीं पड़ता किंतु नास्तिक होने से मनुष्य प्रजाति को बहुत नुकसान उटा ने पढ़ते है । उदाहरण देता हूं:- जैसे आज के बुद्धिजीवी लोग यह प्रचार करते है की इश्वर है ही नहीं और अगला जन्म पिछला जन्म यह सब झूठ है इससे होता यह है की बच्चे अपने ही संस्कृति और महापुरुष पर संशय करते है इससे वह अपने पूर्वजों की संस्कृति भूलने पर अपने भारत के गौरव को भूलने पर उसमे बहुत से दोष दाल दिए जाते है जैसे खराब चीजों को नशा दारु,सिगेर्राते , ड्रग्स क्युकी उनके अनुसार पाप पुण्य सही गलत कुछ है ही नहीं तो गलत चीज़े करते समय उनके अंदर जो संशय उत्पन्न होता है वहा पकड़ नहीं पाते है और धसते जाते है दलदल में और सबसे बड़ी समस्या जो आज देश में है वह है व्यभिचार इससे भी बहुत से झगडे हो रहे है और यहाँ भी नास्तिकतावाद की ही देन है और यह देश के प्रगति में बहुत बड़ी बाधा है इससे बहुत नुकसान भी हो चुके है युवाओं को और लोगों में गलत करने पर जुर्म करने पर भी गिल्टी नहीं रहता और फित्तेस्ट सर्वाइवल के थ्योरी के अनुसार वह गलत करता जाता है| इन्सान ही सब कुछ नहीं है! भारत ऐसे में कभी भी पहले जैसा नहीं बन पायेगा|अरे बिना कुछ किये बिना हतियार के सिर्फ प्रेम प्रेम में ही पुरे विष पे राज करता था भारत और यहाँ चक्रवर्ती राजा हुआ करते थे यहाँ होता था सिर्फ और सिर्फ मनुष्य धर्म को मनने से और इश्वर को मानने से इसीलिए दोस्तों अपनी संस्कृति को जानो यहाँ की विज्ञानं को जानो तभी इस नास्तिकतावाद से बचा जा सकता है वर्ना जाने अनजाने इसी नास्तिकतावाद के ब्रेनवाश के कारण बहुत से गलत संस्कृति अपराधिक सोच आ जायेंगे फिर जब इसी गलत आदत के कारण जब दवाइयों पर जीने लगोगे या किसी जेल में सड़ते रहोगे या जाने अनजाने देश को ही तोड़ दोगे तब पछता कर भी कुछ नहीं कर पाओगे| इसीलिए नास्तिक नहीं seeker बनो प्रमाण सहित निष्पक्ष होकर शोध करो| 
     यदि कुछ गलती हो गयी हो लेख में तो क्षमा चाहता हूँ,
                आपका धन्यवाद 

images taken from patrika.com  therednews.com opindia

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